मनुष्य के जीवन में बहुत से ऐसे पल आते हैं जब उसे लगता है कि वह सब कुछ हार चुका है, उसका वजूद मिट चुका है । मन में ऐसे भाव आना विचार आना बुरा नहीं है किंतु इनके कारण रोना स्वयं को तकलीफ देना यह गलत है। ऐसे में हमें जरूरत है कि हम अपनी हिम्मत बांधे और लड़े उन चुनौतियों से। इसी भाव को लेखक ने कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया है।